कभी धूप कभी छाया
उसके बीच में अकस्मात तुम्हारा आगमन
चलो अच्छी धूप निकली है
बाहर चलते हैं
निकलते ही झम झमा झम
आसमान में घना अंधेरा
जोरो की हवा
आज तो मौसम खराब है
अचानक क्या देखते हैं
बादल छट गए
आसमान साफ
सूर्य भगवान फिर चमकने लगे
क्या करें क्या न करें
आज का मौसम कैसा ??
मौसम विभाग की भविष्यवाणी भी गलत
सबसे ज्यादा यह अनिश्चितता
कहाँ रहती है ??
वह मुंबई नगरी में
जैसे यह नगरी भागती रहती है
वैसे ही यहाँ बरखा भी रंग बदलती है
सुबह घनघोर
कुछ समय बाद गायब
ऑफिस जाएं या न जाएं
निकल गए तब भी
कुछ कहा नहीं जा सकता
इसलिए तो इस नगरी में
मौसम का इतना असर नहीं
न समय बदलता है स्कूल का
न किसी और का
यहाँ जून की जबरदस्त गर्मी
ठंड का घनघोर कोहरा
अनिश्चित बारिश
सबमें सब एक समान
भागना - दौड़ना लगा ही रहता है
लाइफ लाइन भी तभी बंद होती है
जब तक पानी प्लेटफॉर्म से ऊपर न बहने लगे
घुटनों भर पानी में मुंबई कर भी चलते हैं
बेस्ट की बस और टैक्सी भी
वह भी तब तक
जब तक 26 जुलाई वाला मंजर न हो जाएं
और समय तो हम तुम्हारे साथ ही दौड़ लगाते हैं
तुम ऊपर से यहाँ- वहाँ दौड़ लगाती हो
हम सडक पर ।
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