Thursday, 7 July 2022

पोते के मुंडन पर

आज बाबू टकला हो गया
टकला होकर हल्का हो गया
सोच रहा है क्या बात है
कुछ तो खास है
धीमे - धीमे मुस्करा रहा है
खुश हो रहा है
समझ न पा रहा है
कौन उसके बाल ले गया
शीशे में निहार रहा है
यह अंजाना कौन है
महसूस करता है
मैं ही तो हूँ 
यह जानकर खुश
काला टीका शोभ रहा ललाट पर
नजर न लगे 
मेरे घर के चिराग पर 

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