वैसे तो यह सबको भाती
किसी के लिए गम
किसी के लिए खुशी
लाती है
यह जब विकराल रूप धारण करती है
लोगों के घर उजाड़ जाती है
उनकी दुनिया बर्बाद कर जाती है
सब तहस नहस कर जाती है
किसी के जान को लील जाती है
कोई गटर में तो कोई नदी में बह जाता है
घर का छप्पर भी उडा ले जाती है
बिजली तो गिराती है
तांडव भी मचा जाती है
ऐसे में जब बारिश आती है
तब गमगीनी छा जाती है
मन कांप उठता है
मुक्त भोगी इसे कैसे भूल सकता है
उसके लिए तो बारिश आफत की लगती है
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