ख्वाब हैं महलों के
मन है भिखारी सा
मुफ्त का रहना
सब सुविधाओं का लाभ उठाना
मेन्टेन्स देने में आनाकानी
बातें बडी बडी
नहीं है वह व्यवहार में लागू
कामवाली को समय से पैसे न देना
सब्जी वाले से झिक झिक करना
बेचारे किसी गरीब का पैसा मारना
काम करवा कर कुछ टिका देना
ज्यादा बोले तो रौब जमाना
वाॅचमैन को अपने घर का नौकर समझना
अपना व्यक्ति गत कार्य करवाना
स्वीपर को भी धौस जमाना
यह आजकल सभी कमोबेश सोसायटी का दृश्य
कुछ सदस्य ऐसे हर जगह
दूसरों के घर की बातों में रस लेना
टोका टोकी करना
कहने को शिक्षित और सोफेस्टिक
पर वह तो सबसे गए - गुजरे
अब इनसे कैसे निपटा जाए
कहने को तो मिलेनियर
उसी तरह जैसे Slumdog millionaire
हरकतें बद से बदतर
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