Wednesday, 13 July 2022

इंसान

जिंदगी बनती नहीं 
बनाई जाती है
मिल तो जाती है
अनगढ़ और अव्यवस्थित 
उसको गढा  जाता है
सुधारा जाता है
जीने लायक बनाया जाता है
प्रयास रत रहना पडता है निरंतर 
इसमें किसी एक का योगदान नहीं 
न जाने कितनों का
माता पिता , गुरू , पाठशाला, किताबें 
दोस्त - रिश्तेदार  , पडोसी 
पल - पल का अनुभव 
दूसरों से सीख 
मिट्टी का घडा तो एक कुम्हार ही गढता है
यहाँ न जाने कितने
क्योंकि उनको मनुष्य बनाना है
सबसे बुद्धिमान  जीव
वह मिट्टी का घडा नहीं 
हाड मांस का इंसान है
एक मन है एक दिमाग है
उसे चलाना आसान नहीं 
संभल संभल कर कदम रखना पडता है
फैसला करना पडता है
तब जाकर एक इंसान खडा होता है 

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