बनाई जाती है
मिल तो जाती है
अनगढ़ और अव्यवस्थित
उसको गढा जाता है
सुधारा जाता है
जीने लायक बनाया जाता है
प्रयास रत रहना पडता है निरंतर
इसमें किसी एक का योगदान नहीं
न जाने कितनों का
माता पिता , गुरू , पाठशाला, किताबें
दोस्त - रिश्तेदार , पडोसी
पल - पल का अनुभव
दूसरों से सीख
मिट्टी का घडा तो एक कुम्हार ही गढता है
यहाँ न जाने कितने
क्योंकि उनको मनुष्य बनाना है
सबसे बुद्धिमान जीव
वह मिट्टी का घडा नहीं
हाड मांस का इंसान है
एक मन है एक दिमाग है
उसे चलाना आसान नहीं
संभल संभल कर कदम रखना पडता है
फैसला करना पडता है
तब जाकर एक इंसान खडा होता है
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