Wednesday, 6 July 2022

कैसा रिश्ता ??

दिल से दिल को मिलने दो
दिल को एक - दूसरे के नजदीक आने दो
दिल खोलकर बात करो
बिना हिचक और पाबंदी के
सारी औपचारिकता को छोड़ दो
तब तो दिल से दिल मिलेगा

वह अपने ही क्या
जहाँ बोलने से पहले सोचना पडे
जहाँ दिल खुले ही नहीं 
जब तक साथ रहे 
मसोसता  रहें 
डरता रहें 
हमारी कोई बात बुरी न लग जाएं 
आपकी खामियां ढूंढी जाएं 
आपका उपहास उडाया जाएं 
जान बूझ कर चुभती बात बोला जाएं 
जहाँ बात - बात पर एहसान जताया जाएं 
एहसास कराया जाएं 
नीचा दिखाया जाएं 
मजबूरी का मजाक उडाया जाएं 
तब तो मजबूती कैसे रहेंगी

आपकी गलती को चटखारे ले - लेकर बताया जाएं 
मेहमानों की तरह दिखावा हो
तब दिल से दिल कैसे मिलता
दूरियां तो बढती जाती है
दिखाने के लिए सब साथ साथ
असलियत में अजनबी से भी ज्यादा अजनबियत 
क्या करना 
ऐसे दिखावटी और बनावटी रिश्ते से क्या फायदा 

रिश्ता तो वैसा हो
जहाँ मन से मन और दिल से दिल मिले
जो जैसा है उसी रूप में स्वीकृत 
जहाँ बोलने से पहले सोचना न पडे 
जहाँ दिल लगाने वाली बात नहीं 
दिल मिलने वाली बात हो
कृत्रिमता  और दिखावट से दूर 
अपनेपन से भरपूर हो
तब वह रिश्ता , रिश्ता कहलाता है 

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