Thursday, 14 July 2022

ऐसा हमारा देश हो

जब कलम पर ही हो बंदी
जब विचारों पर हो अंकुश
जब प्रतिक्रिया पर हो पाबंदी
न हो कहने - सुनने की आजादी 
जब इतना प्रतिबंध हो
तब वहाँ कैसे प्रजातंत्र हो

जब विचारों का हो आदान- प्रदान
कुछ अपनी कहो कुछ उनकी सुनो
नहीं हो कोई प्रतिरोध 
विरोध  भले हो दुश्मनी न हो
सबका अधिकार एक समान हो
जहाँ मजहब - धर्म न आडे आता हो
वहीं तो प्रजा तंत्र का परचम फहराता है

जहाँ जन प्रतिनिधि जनता के सेवक हो
शासक सबका एक हो
जनता देव समान हो
चुनी हुई सरकार हो
नहीं कोई भेदभाव हो
अपने देश से बस प्यार हो
एक सुर में मातृभूमि की  जय जयकार हो
ऐसा हमारा देश हो

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