जिसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सिखाया
किसी ने प्रेम से किसी ने आलोचना से
किसी ने समझा कर
किसी ने डांट फटकार कर
सीखा तो हमने उन्हीं से
वे नहीं होते तो शायद जीवन के इस मुकाम पर हम पहुँचते ही नहीं
अंजान ही रहते
पग - पग पर गुरू मिले
सभी से हमने कुछ न कुछ सीखा
शिक्षा केवल पाठशाला में नहीं
और केवल किताबों में नहीं
किताबों के अलावा विस्तृत दुनिया है
वह बिल्कुल भिन्न है
पाठशाला में हम पढते हैं
फिर परीक्षा देते हैं
जिंदगी की पाठशाला तो पहले ही परीक्षा ले लेती है
बाद में हम सबक लेते हैं और सीखते हैं
किसी का नाम स्मरण
किसी का नहीं
लेकिन गुरु तो सब रहे हैं
गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर
अपने हर एक गुरू को नमन
आभार और नमस्कार
No comments:
Post a Comment