पास - नापास
गिरना - पडना
यह तो हर पड़ाव पर
इसी डर से बैठ जाया जाएं
कुछ रिस्क न लिया जाए
अगर ऐसा किया
ऐसा हुआ
तब क्या ??
कुछ नहीं
जो हारा ही नहीं वह जीत का स्वाद क्या जाने
जो नापास ही नहीं हुआ वह तो पास वाली सीढी चढा ही नहीं
जो गिरा ही नहीं
वह उठेगा कैसे बस बैठा ही रहेंगा
गिर - गिर कर उठा
कई बार गिरा
कई बार असफल हुआ
तब जाकर सफलता का स्वाद चखा
हार के आगे ही जीत है
यह पता चला
अपनी काबिलियत का एहसास हुआ।
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