अपनी गाथा सुनाना बंद करो
यही चलता रहा
लोग हंसते रहेंगे
सामने तो नहीं पीठ पीछे कहेंगे
कभी-कभी सामने भी
हर दम रोना
और कुछ काम नहीं
तुम सोचेगे
मैं तो मन की बातें बता रही हूँ
सामने वाले को तो यह लगता नहीं
वह सोच भी सकता है
जलन है मुझसे
भले वह तुम्हारी मदद न करें
फिर भी वह ताना तो मार ही देगा
रहिमन मन की व्यथा मन ही राखो कोय
सुन इठलैहे लोग बाँट न लैहे कोय
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