कल की तो कौन जानता है
स्वर्ग जाऊंगा या नरक
मानव योनि मिलेगी या श्वान
आज अपनी इच्छा पूरी कर ले
जी भर कर जो मन करें खा ले
पूरी, हलवा , खीर , पकौडा
इसी जन्म में खा ले
क्या पता कल किसी को याद न रहें
श्राद्ध करने का समय ही नहीं मिले
वह उन पर भारी पडे
जमाना बदल रहा है
परंपराएं भी तो बदलेंगी ही
हो सकता है
कागा भी न दिखें
कांव कांव करता कौआ
विलुप्त हो जाएं
तब क्या होगा
वह अन्न बेकार जाएंगा
इंतजार करते रह जाएंगे
तब उन को कह दो
अभी जो कुछ खिलाना है खिला दो
सेवा करनी है कर दो
माता पिता का आशीर्वाद तो सदा बच्चों के हाथ
इस लोक में रहें या दूसरे लोक में
हमें बस याद करते रहना समय-समय पर
श्राद्ध करों या न करों
श्रद्धा जरूर रखना
हम तो तुम्हारी खुशी में ही खुश
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