Saturday, 10 September 2022

बप्पा की बिदाई

बप्पा आए गाजे-बाजे- बाजे के साथ
बिदाई भी हुए गाजे-बाजे के साथ
सभी ने नम ऑखों से बिदाई दी
दस दिन जश्न का माहौल रहा
उनके स्वागत - सत्कार और सेवा में कोई कमी नहीं 
बडी बैचैनी से इंतजार रहता है
बप्पा आते भी हैं 
लोगों के बीच रहते हैं 
आशीर्वाद देते हैं और फिर चले जाते हैं 
मनुष्य न जाने कितने जतन करता है
अपने ईश्वर को रिझाने के लिए 
सुख - शांति से रहने के लिए 
त्यौहार केवल त्यौहार ही नहीं होते
लोगों को जोड़ने का साधन होते है
इसी बहाने लोग एक मंच पर आ जाते है
न जाने कितने लोगों की रोजी-रोटी  चलती है
विकास में भागी बनते हैं ये त्योहार 
केवल धर्म ही नहीं कर्म भी है 
बप्पा यही तो सिखाते हैं 
यहाँ स्थायी कुछ नहीं है
आना और जाना भी है 

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