Thursday, 22 September 2022

रिम झिम रिम झिम बदरा बरसे

रिम झिम रिम झिम 
बदरा बरसे
मन में खुशी की आस सरसे 
काले - काले बदरा
लगते बडे मनभावन 
जब बरसे
तब खुशी छलके 
पेड - पौधे हर्षाए 
हरियाली से भर जाएं 
मोर भी पंख पसारे
मस्त - मस्त हो नाच दिखाएं 
कीट - पतंगे भी गाए 
मेंढक उछल- कूद दिखलाए 
पपीहा अपनी राग अलापे 
सभी छेडे नए तराने
हर जीव हरषाए 
खुशी के मारे फूला न समाएं
जब - जब बदरा आए
बरखा लेकर आए
बिजली चमकाते 
घोर अंधेरे में आने का संदेश देते
बरस - बरस कर सबको तृप्त करते 
तभी तो सब इनकी आतुरता से बाट जोहते 
रिम झिम  रिम झिम बदरा बरसे
सावन की घटा उमडे
मन में खुशी की आस सरसे। 

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