सबके पसंद और नापसंद का ध्यान रखती है
दिन - रात खाने और खाने वाले के बारे में सोचती है
वह घर की गृहिणी है
उसके मनपसंद का ध्यान किसे ??
उसकी भी तो कुछ इच्छा होगी
कुछ पसंद या नापसंद होगी
वह तो जब सबसे बच जाएं
वही खा लेती है
सबका पेट भर जाएं
उसी में खुश
कोई शिकायत न हो
इसलिए वह जी जान डाल देती है
फिर भी कभी-कभी वैसा नहीं बन पाता है
तब सबके मुंह टेढे
बात सुनाने लगते हैं
यह नहीं सोचते
उसके दिल पर क्या बीतती होगी
उसका भी मन है
शरीर है
कभी वह भी अनमनी हो सकती है
उसका मन नहीं करता
उसे भी आराम और छुट्टी की जरूरत है
यह कोई नही सोचता
किसी को उसकी नहीं
बस अपनी पडी रहती है ।
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