Saturday, 24 September 2022

वक्त

कभी हंसना कभी रोना 
कभी सुख कभी दुख
यही है जीवन का मूल
कभी नहीं रहता वक्त सम 
ऊपर - नीचे करता रहता
पल पल डोलता रहता 
बहुत कुछ बोलता
बहुत कुछ सिखाता
नित नए खेल दिखाता
हमेशा यह बाजी मार ले जाता
इस जादूगर के खेल निराले 
कभी धूप तो कभी छांव 
हर रंग में रंगा
यह वक्त अपना 

No comments:

Post a Comment