Saturday, 24 September 2022

सब छूटना है

कुछ अपने आगे निकल गए 
कुछ अपने पीछे छूट गए 
हम खडे खडे निहारते रह गए 
इस आगे - पीछे की दौड़ में 
न जाने कितने छूट गए 
जो छूट गया वह छूट गया
जो रह गया वह रह गया
जिंदगी तो चलती ही रही
न वह आगे देखती न पीछे
अपने ही रफ्तार में बढती जाती 
एक दिन सब छूट जाना है
यही सब रह जाना है
अकेले तो आए थे पर अपनों का साथ था
जाना तो बिलकुल अकेले
नहीं कोई संगी नहीं कोई साथी नहीं कोई अपना 

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