Friday, 23 September 2022

नेता बिक रहा है

नेता बिक रहा है 
खरीदोगे क्या ??
एक अकेला ही नहीं
थोक के साथ
जिस तरफ जाएं सत्ता बदल जाएं 
आज इसमें थे तो कल उसमें 
कब बदल जाएं कहा नहीं जा सकता
जनता तो सोचती है
यह क्या हुआ
हमने तो इस पार्टी के नाम पर वोट दिया था
उल्लू तो नहीं बन गए 
जनता की किसे पडी है
अपना उल्लू सीधा करना है
जहाँ दिखे कुर्सी उसी तरफ जा लुढके 
गजब का प्रजातंत्र 
जब जो जी में आया वह करें 
अपनी कुर्सी बचाएँ फिरें 
दूसरे में जाते ही दूध के धुले हो जाएं 
सारा कलंक गंगा में बह जाएं 
जनता ठगी सोचती रह जाएं 

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