हाँ में हाँ मिलाया
कोई शिकायत नहीं की
मन न होते हुए भी सब किया
अपनी इच्छाओं को ताक पर रख दिया
गलत दोषारोपण को भी स्वीकार कर लिया
इसलिए कि सब खुश रहें
सबकी खुशी में ही मेरी खुशी
व्यर्थ में विवाद क्यों
दूसरों का मन क्यों दुखे
दूसरों की चिंता में ही लगी रही
यह सब कब तक चलता
एक दिन मैंने भी ना कह दिया
बात का विरोध कर दिया
तब तो भूचाल आ गया
अच्छेपन की दीवार भरभरा कर गिर पडी
मैं समझ न पाई
यह क्या हुआ
क्यों हुआ
कोई गलती तो नहीं हुई
बस जो नागवार गुजरी उसको ना कह दिया
मेरे ना कहते ही
सबने मुझे ना कह दिया
No comments:
Post a Comment