Tuesday, 27 September 2022

जय माँ अंबे

माँ तू सुखकर्ता 
माँ तू दुखहर्ता 
तेरा हर रूप निराला 
नहीं मिलती भक्त को निराशा 
जो तेरे दर पर आए
उसकी झोली भर जाएं 
मनमांगी मुराद हो जाएंगी पूरी
माँ तो माँ होती है
संतान पर अपनी ममता न्योछावर करती 
प्यार से उसको आशीष देती
बडी आशा से आते हैं भक्त तेरे दर 
नहीं जब कोई आस
तब आए तेरे दर पास
मैया का रूप मनोहर
सब रह जाते निरखत 
हाथ जोड़ कर करते विनंती 
पता है माता दूर करेंगी हर विपत्ति 
नवरात्र का हर दिन पावन
माता की होती पूजा - अर्चन
गरबा और ढोल के ताल पर नाचते सब
भक्ति के रंग में सब रंगे
क्या युवा क्या बुजुर्ग 
हर पैर थिरक रहें 
सब मैया का स्वागत कर रहें 
नवरात्रि जो है
माँ का दरबार सजा है
जो मांगना हो मांग लो
शेरावाली माँ कभी खाली हाथ नहीं जाने देती
अपनी आशीष बरसाती 
जय मैया जय भगवती ।

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