माँ तू दुखहर्ता
तेरा हर रूप निराला
नहीं मिलती भक्त को निराशा
जो तेरे दर पर आए
उसकी झोली भर जाएं
मनमांगी मुराद हो जाएंगी पूरी
माँ तो माँ होती है
संतान पर अपनी ममता न्योछावर करती
प्यार से उसको आशीष देती
बडी आशा से आते हैं भक्त तेरे दर
नहीं जब कोई आस
तब आए तेरे दर पास
मैया का रूप मनोहर
सब रह जाते निरखत
हाथ जोड़ कर करते विनंती
पता है माता दूर करेंगी हर विपत्ति
नवरात्र का हर दिन पावन
माता की होती पूजा - अर्चन
गरबा और ढोल के ताल पर नाचते सब
भक्ति के रंग में सब रंगे
क्या युवा क्या बुजुर्ग
हर पैर थिरक रहें
सब मैया का स्वागत कर रहें
नवरात्रि जो है
माँ का दरबार सजा है
जो मांगना हो मांग लो
शेरावाली माँ कभी खाली हाथ नहीं जाने देती
अपनी आशीष बरसाती
जय मैया जय भगवती ।
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