Wednesday, 12 October 2022

यह दिन भी गुजर जाएंगे

यह दिन भी गुजर जाएंगे
हंसी फिर खिलखिलाएंगी
होठों पर मुस्कान भी आएंगी 
ऑखों का पानी भी गम का नहीं खुशी का होगा 
अपने फिर वापस आएंगे 
घर फिर चहचहाएगा 
कुछ समय की तो बात है
सबर तो कर ले
आज गम है तो कल खुशी भी तो होगी
यह तो वक्त का पहिया है
किसके रोकने से रूका है
वह तो वक्त है
बदलता रहता है
रात के बाद दिन 
पतझड़ के बाद वसंत 
अंधेरे के बाद प्रकाश 
विनाश के बाद निर्माण 
यह तो चक्र है जो चलता रहता है
मत हो निराश
मत हो गमगीन 
यह दिन भी गुजर जाएंगे ।

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