हंसी फिर खिलखिलाएंगी
होठों पर मुस्कान भी आएंगी
ऑखों का पानी भी गम का नहीं खुशी का होगा
अपने फिर वापस आएंगे
घर फिर चहचहाएगा
कुछ समय की तो बात है
सबर तो कर ले
आज गम है तो कल खुशी भी तो होगी
यह तो वक्त का पहिया है
किसके रोकने से रूका है
वह तो वक्त है
बदलता रहता है
रात के बाद दिन
पतझड़ के बाद वसंत
अंधेरे के बाद प्रकाश
विनाश के बाद निर्माण
यह तो चक्र है जो चलता रहता है
मत हो निराश
मत हो गमगीन
यह दिन भी गुजर जाएंगे ।
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