वह हो देश के नाम
उन गरीब कुम्हारों के नाम
जिनकी दीवाली ही दीए से उजाली होती है
रंग - बिरंगी , चाइनीज- विदेशी
दीए तो मिल जाएंगे बाजारों में
खुशबू तो अपनी मिट्टी की
माटी के दीए से ही आएंगी
उन गरीब बच्चों के चेहरे पर खुशियाँ
वह कांपते हाथों से पैसे गिनना
वह गोद में बच्चा लिए माँ
ऐसे न जाने कितने ही दृश्य दिख जाएंगे
फूलों का तोरण बनाते हुए और बेचते हुए
रंगोली का रंग बेचते हुए
कंदिल बेचते हुए
सजावट की वस्तु बेचते हुए
यह सब आपको माॅल में भी मिल जाएंगे
ऑन लाइन घर पर ही
फिर भी फुटपाथ पर इनको सामान लगाकर बेचते
कभी ठेले पर कभी कोने में खडे हो
कभी घुम घुमकर आवाज देते हुए
यह लोग आशा में रहते हैं
साल भर में एक बार दीवाली आती है
उसी बहाने उनकी रोजी रोटी चलती है
कुछ पैसे एक्स्ट्रा भी
वे भी अपने बच्चों और परिवार के साथ मना सके
दीवाली अमीर या गरीब को नहीं देखती
वह सबकी होती है
सब अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार मनाते हैं
उजाला करते हैं
हर रोशनी में उनकी भागीदारी
तो आप की भी है कुछ उनके प्रति जिम्मेदारी ।
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