न नर हूँ न नारी हूँ
तब भी सबसे भारी हूँ
दुवाओ का खजाना है मेरे पास
हर शुभ कार्य में हाजिर रहती हूँ
सभी चाहते मुझसे दुआएं लेना
अपने नवजात बच्चों को गोद में देकर
विनंती करते हैं
उनके शिशु को दुआ दे
इसके बदले में वह न जाने क्या-क्या उपहार देते हैं
मुझे देखना शुभ
मुझसे आशीर्वाद लेना अच्छा
तब मैं बदनसीब कैसे
माँ न बनू पर बलैया लेती हूँ शिशु की
ब्याहता न बनू
पर नवजात जोड़े को आशीर्वाद देती हूँ
सब मुझसे डरते हैं
कहीं मैं नाराज न हो जाऊं
शाप न दे दूँ
नाच - गाकर , आशीर्वाद देकर खुश रहती हूँ
लोग हंसी उडाते हैं मेरी
मुझसे किनारा करते हैं
जन्मदाताओ ने त्यागा
समाज और परिवार ने ठुकराया
फिर भी मैंने हार नहीं मानी
न मैंने दुनिया छोड़ी
इसी दुनिया में रहती हूँ
सर उठाकर और अपने बल पर
मैं ही तो शिखंडी हूँ
किन्नर हूँ
न नर हूँ न नारी हूँ
तब भी सबसे भारी हूँ।
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