Thursday, 13 October 2022

मशाल जलाया है

मशाल लेकर चले थे
सोचा था सबको जोड़ते चलेंगे 
एक से दूसरे को हाथ पकड़ाते चलेंगे 
काफिला निकल चुका है
रोशनी बिखरी हुई है
अंधेरा घना छाया हुआ है
पर निराश नहीं हूँ 
प्रकाश को रोकना संभव नहीं 
निराश नहीं हूँ 
मन में पूर्ण उत्साह है
जब रास्ता चुन ही लिया है
तब मंजिल भी दूर नहीं  

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