सोचा था सबको जोड़ते चलेंगे
एक से दूसरे को हाथ पकड़ाते चलेंगे
काफिला निकल चुका है
रोशनी बिखरी हुई है
अंधेरा घना छाया हुआ है
पर निराश नहीं हूँ
प्रकाश को रोकना संभव नहीं
निराश नहीं हूँ
मन में पूर्ण उत्साह है
जब रास्ता चुन ही लिया है
तब मंजिल भी दूर नहीं
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