Thursday, 24 November 2022

मैं नारी बेचारी

मैं नारी हूँ
इसीलिए तो बेचारी हूँ
मैं माॅ हूँ
इसीलिए तो शक्तिशाली हूँ
मैं पत्नी हूँ
तभी तो सहनशील हूँ
मैं ममता की मूर्ति
मैं सती - सावित्री
मैं वीरागंना
मैं गृहिणी
मैं तो गृहस्थी की धुरी हूँ

संसार का बोझ लेकर चलती हूँ
फिर भी ऊफ नहीं करती हूँ
मुझे मालूम है
मैं क्या हूँ
मुझे अपनी शक्ति का अंदाजा है
मेरे बिना तो एक घर - परिवार भी व्यवस्थित नहीं चल सकता
संसार की बात ही अलग

मैं सब बर्दाश्त कर लेती हूँ
परिवार के हर व्यक्ति के नखरे उठा लेती हूँ
उनका सारा गुस्सा - खीझ अपने में समा लेती हूँ
जब नौ महीने गर्भ में बोझ उठा सकती हूँ
तब यह सब तो कुछ भी नहीं

मैं बेचारी तो हूँ
पर मेरे बिना घर नहीं चलता
सबकी अपेक्षा मुझसे ही
मैं वह नीलकंठ हूँ
जो विष का घूंट धारण कर गले तक ही रखती हूँ
अपने परिवार पर उसके छींटे भी नहीं पडने देती

मैं बेटी हूँ
मैं बहन हूँ
मैं पत्नी हूँ
मैं बहू हूँ
मैं माॅ हूँ
तभी बेचारी हूँ
व्यक्ति तो बाद में
सबसे पहले इतनी सारी भूमिका निभाना है
तब तो बेचारी ही बनना है
नहीं तो दूसरे बेचारे बन जाएगे
वह मुझे स्वीकार नहीं

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