Tuesday, 10 January 2023

सावधान नराधमो से

अपना रास्ता स्वयं बनाना पडता है
यहाँ भटकाने और धक्का देने को लोग तैयार हैं
न रास्ता बनाओगे तो बाहर का रास्ता दिखा देंगे
हर जगह ऐसे शख्स विद्यमानहैं
उनसे रहना है सावधान
मुख पर चिकनी चुपड़ी
पीठ पीछे निंदा
चुगली करने में ये माहिर
इनका काम ही यही होता है
स्वयं के गिरेबान में झांक कर देखें
हजार बुराइयाँ
आपके सामने टिक नहीं सकते
इसलिए नीचा दिखाने की कोशिश
पता नहीं क्या मजा आता है
ईश्वर से भी डर नहीं
ये स्वयं को भली-भांति जानते हैं
पर फिर भी बाज नहीं आते
चटखारे लेकर  हमेशा दूसरों की चर्चा
अगर ऐसा शख्स है आपके आसपास
तब उससे सावधान
उसकी किसी भी बात पर विश्वास नहीं
यह तो आपकी नजर में अच्छा बने रहेंगे
पीठ पीछे आपके बारे मे अफवाह फैलाएगे
और आप भांप भी नहीं पाएंगे
सांप और बिच्छू से भी खतरनाक
इनका डंक सालोसाल चलता है
ऐसे आते तो है 
मानव की श्रेणी में
पर है नहीं
जो दूसरों के दुख का मखौल उडाए
किसी की व्यर्थ में प्रतिष्ठा खराब करें
वह तो नराधम है

बहुत खा लिया मीठा

बहुत खा लिया मीठा
अब बस करना है
क्योंकि जीना है
जीभ पर नहीं
जीवन में मिठास भरना है
क्या कडवा
क्या मीठा
अंदर जाकर बन जाता इनका घोल
कडवा भरता कडवाहट
मीठा भरता मिठास
ऐसा हमको होता है महसूस
चिकित्सक कुछ और ही कहते
शुगर के मरीज बन जाओगे
अब उम्र नहीं मिठाई की
बची है रूखी सुखी खाने की
चंद बरसों और पलों को
सुकून से गुजारने की
इसलिए सब शुगर के मरीजों से
गुजारिश है
अब मिठाई नहीं
बीमारी पर ध्यान दे
अनावश्यक और बीमारी को निमंत्रण न दे
स्वयं भी सुकून से रहे
परिवार जनों को भी रहने दें
यह जानलेवा डायबीटीस
करता है हर अंग पर जम कर प्रहार
खोखला कर डालता है तन
तब हो जाय 
समय रहते सचेत

विश्व हिंदी दिवस

वह माँ है
ऐसी माँ जो अपने हर बच्चे को आंचल में ले लेती है
दुलराती है
उसकी अटपटे बोल पर मुस्कराती है
कैसे भी बोले
कुछ भी मिला कर बोले
अनपढ़ बोले
अपराधी बोले
पढे लिखे बोले 
कवि और साहित्यकार बोले
नेता और अभिनेता बोले
भिन्न-भिन्न भाषाभाषी बोले
देशी विदेशी बोले
उसे कोई फर्क नहीं पड़ता
सब उसके अपने जो है
वह सबकी है
सब उसका सहारा ले सकते हैं
संवाद कायम कर सकते है
रोजी रोटी का साधन
दिलों को आपस में मिलाने का साधन
एक दूसरे को समझने का माध्यम
इतनी बड़ी शक्ति
इसी माॅ के पास है
यह हमारा मान और सम्मान है
शानदार और जानदार
भारत की शान
हमारी जान 
सबसे प्यार करने वाली
हमारी हिन्दी है
विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामना

Monday, 2 January 2023

तभी तो हर साल नया है

नया साल का जश्न
जोरदार स्वागत
ऐसे ही हर साल आता है
कुछ नई उम्मीद और आशा के साथ
पुराना बिदा होता है
कुछ लेते और कुछ देते जाता है
क्या पाया क्या खोया
इसका लेखा जोखा करता जाता है
यह हर साल होता है
कुछ यादें छोड़ जाता है
कुछ भूल जाती है
कुछ याद रह जाती है
उम्र गुजरती जाती है
साल दर साल गुजरते जाते हैं
हर साल हम भविष्य देखते हैं
इस साल क्या हासिल होगा
कैसा गुजरेंगा
इस आशा में कि जो गया सो गया
बीती ताहि बिसार दें
    आगे की सुधि लें
फिर खडे हो जाते हैं
सब झटक कर झटके से
एक ही रात में 
नया चमत्कार
कुछ कर गुजरना
जबकि हम भी वहीं है
सूरज भी वहीं है
जैसे तब वैसे अब
सारा क्रियान्वयन वैसे ही
तब नया क्या ??
नई आशा
नई उम्मीद
नए सपने
जो जीवन जीने का सहारा है
प्रेरणा है
तभी तो हर साल नया है

Sunday, 1 January 2023

भावभीनी श्रद्धांजलि एक माँ को

न जाने कितने वसंत देखे 
सौ वर्षों का समय 
उसको गरिमा से जीना
इतना आसान नहीं होता
उसमें पतझड़ भी आया होगा
दुख और परेशानियां भी आई होगी
उन सबसे जूझना पडा होगा
लडना पडा होगा 
घर और बच्चों की जिम्मेदारी निभाते - निभाते
वक्त कब गुजर जाता है पता ही नहीं चलता
संघर्षों से  हार न मानना
जीवन में अदभ्य जीजिविषा 
बच्चों को लायक बनाना
और बेटा जब देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच जाएं 
तब उस माँ की खुशी कैसी होगी
जिसके सामने सब सर झुकाएं 
वह बेटा अपनी माँ के कदमों में बैठा
अपने हाथ से खिलाती माँ 
मुख पोंछती माँ 
चंद रुपयों की सौगात देती माँ 
आज वह नहीं रहीं 
हीरा बा जिसने हीरे जैसे बेटे को जन्म दिया
जिसका डंका पूरे विश्व में बज रहा है
ऐसे माॅ का जाना सबको आहत कर रहा है
तब उनके बच्चों का क्या 
ईश्वर यह दुख सहने की शक्ति दे 
भावभीनी श्रद्धांजलि 

बेचारा बाप

सारी ममता माँ के खाते में 
पिता के पास बस जिम्मेदारी 
अपनी जिम्मेदारी निभाते - निभाते संतान  से दूरी बन जाती है
माँ जितना करीब नहीं हो पाता है
कठोर छवि बन जाती है
उसे परिवार की चिंता होती है
अपने बच्चों की परवरिश की
उनके शिक्षा और उन्नति की
वह अपने को व्यस्त कर लेता है
जब वही बच्चा पढाई के लिए दूर जाता है
हवाई अड्डे पर पहुंचने माँ  - पिता दोनों आते हैं 
माँ गले और छाती से चिपकाती है
गालो पर प्यार भरे चुंबन की बर्षाव करती है
ऑखों से ऑसू बहाती  रहती है
बेटा सांत्वना देता है
किसी तरह माँ के लाड - प्यार से अपने को छुटाकर जाता है
पिता को बस हाथ हिलाता है
पिता के मन की स्थिति को कोई नहीं जानता
अपने कलेजे के टुकड़े को को दूर भेजते हुए उसका भी मन मसोसता है
अंदर ही अंदर हिसाब-किताब भी करता रहता है
पैसे के जुगाड़ से भेजने तक सारा इंतजाम उसी का
पर बाजी मार ले जाती है माँ 
मन में बसती है माँ 
बिछुड़ती है माँ 
उसको भी सांत्वना देना है
फोन आता है माँ को
बाप पीछे से सुनता रहता है
माँ से पूछता है
क्या बोल रहा था
ठीक ठाक है न
पैसे की कमी तो नहीं है
व्यवस्थित रह रहा है न
माँ और बेटे के बीच बाप दूरदर्शक 
बेचारा बाप 

संदेश देता नववर्ष

कैलेन्डर  बदलता है
तारीख बदलती है
साल बदलता है
यह एक बार नहीं 
हर तीन सौ पैंसठ दिन के बाद
फिर नया दिन 
फिर नयी रात 
सूरज भी वही 
चंद्र भी वही
बस समय बदलता है
पल बदलता है
हमारी उम्र एक वर्ष आगे बढती है
ऐसे ही बरस दर बरस गुजरते जाते हैं 
मन में भावनाओं का सैलाब उमड़ता रहता है
उम्मीद का दामन पकड़ कर रखते हैं 
आशा और विश्वास रहता है
हर साल का स्वागत करते हैं 
शायद इस बार और अच्छा हो
खुशियों की सौगात मिले
ईश्वर की कृपा बरसे
यह सोच आगे बढते रहते हैं 
आने वाला कुछ लेकर आएगा 
जानेवाला कुछ देकर जाएंगा 
यह चलता रहता है
जिंदगी भी आगे बढती रहती है
कुछ नया कुछ पुराना
कुछ कडवा कुछ मीठा 
कुछ खुशी कुछ गम 
कभी हंसी कभी रूदन
कभी आशा कभी निराशा
कभी उदासी कभी मुस्कान 
कभी सफलता कभी असफलता
कभी ऊंचाई कभी नीचाई 
कभी उन्नति कभी अवनति 
इन सबके बीच समय चक्र की अपनी गति
न किसी के लिए ठहरता न रूकता
बस अपनी गति से चलता जाता
हर साल आगे बढ पिछले साल को अलविदा कहता जाता
संदेश देता जाता 
मैं आगे बढ गया हूँ 
तुम भी आगे बढो
भूली - बिसरी यादों से बाहर निकलो
नव वर्ष का स्वागत करों। 

Happy new year

जीवन का एक नये वर्ष में पदार्पण
कुछ बीती कुछ भूली बिसरी
कुछ मुस्कराती हुई
हौले से कानों में गुनगुनाती
अब हम आ गए नए वर्ष में
अभिनंदन करें
सब कुछ नया
नयी आशा
नए सपने
नया विश्वास
बढाए कदम
सबको साथ ले
क्या अपना क्या पराया
कोई नहीं अंजाना
बस जीवन के गीत गुनगुनाना
आज की नयी सुबह
खिली हुई कली
सांस लेता जीवन
प्रकृति का हर कण कण
अंगडाइया ले रहा
प्रभात को सलाम करता कह रहा
Happy  New  Year