Monday, 1 May 2023

हम दोनों

हम - तुम 
तुम - हम
बंधे एक बंधन में 
जिसका सफर आज तीरालीस वर्ष का हुआ 
न देखा न जाना न सुना
बस बांध दिए गए 
उस बंधन को गाँठ अभी तक लगा कर रखी है
सब कुछ अच्छा अच्छा 
सुखद सुखद 
ऐसा तो हुआ नहीं 
कभी मान कभी तकरार
कभी दुख कभी रूदन 
कभी हंसी तो कभी नाराजगी
हर बात पर 
न विचारों का मेल न परवरिश का 
कहा जाए तो
एक तीर घाट तो एक वीर घाट
हर बात पर समझौता
वो भी किसी एक ने नहीं 
दोनों ने किया होगा
हाँ किसी ने कम किसी ने ज्यादा 
बहुत से अवसरों पर मन मसोसकर भी रहना पडा 
झुकना भी पडता रहा
ऐसे ही बेमेल तालमेल के भी जिंदगी चलती रही 
हाँ वह बंधन और मजबूत बन गया
उसे तो तोड़ माना ईश्वर के सिवा और किसी के वश में नहीं 
विवाह एक सामाजिक कर्तव्य है 
उत्तरदायित्व भी है
जिसे निभाना है 
टूट टूट कर जुडे 
हार हार कर जीते
जुड़ते जुड़ते
जीतते जीतते 
 43 पार कर गए 
अब तो जो है सब संग संग है 
शादी की सालगिरह मुबारक हो 
           हम दोनों को ।

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