Friday, 23 June 2023

आओ बरखा रानी

यह हरे भरे पेड
यह हरी भरी घास
छोटे-छोटे फूल - पौधे - पत्ती 
चिड़िया- चुरूग , प्राणी
सब इंतजार में हैं 
कब बारिश हो
सभी गर्मी से बेहाल
सुबह आशा रहती है
शाम होते होते फिर निराशा
रात को सोते समय फिर आशा 
शायद आज बारिश हो
पर वह तो गायब है
हम त्रस्त हैं 
कुछ समझ नहीं आ रहा है
ऊपर वाले पर आस
शायद अब हो बरसात
अब तो कृपा करो
आओ बरसो मन भर
हम भी झूमें 
सारी प्रकृति झूमें 
गर्मी हो रही है असहनीय 
सहनशक्ति दे रही जवाब
आओ ना अब सबकी प्यारी 
मेरी , हमारी  , सबकी बरखा रानी 

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