तुममें ही था हमारा संसार
वह झोला टांग कर स्कूल ले जाना
ईरानी होटल में बडा - पाव , मिसल - पाव खिलाना
वह मेरे लिए खटिया लगाना
किताबों को रखना
ताकि मैं किसी तरह पढूं
वह एडमीशन के लिए काॅलेज का चक्कर लगाना
मैं पढ़ाकू नहीं यह पता था
फिर भी अपनी बिटिया को कम नहीं समझना
आरामतलब है यह
जैसे पढती है पढे
कभी ज्यादा अपेक्षा न रखना
ग्रामर सिखाना
भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल की रचना बताना
मेरे पल्ले कभी नहीं पडा
गो और गोइग
हाँ आज आप चले गए
तब समझ आ रहा है
काल का मतलब
वह सुनहरा काल था आपके साथ वाला लम्हा
आधुनिकता और मार्डन कहने वालों को
धता बताने वाले
एक पीढी आगे चलने वाले
शायद मैं वह न बन पाई
दब्बू ही बन रह गई
एज्युकेशन क्या होता है
ऐज्युकेट किसे कहते हैं
यह तो कोई आपसे सीखे
गीता को जीवन में धारण करने वाले
हम समझ नहीं पाएं
अब भी हर बात में आपकी याद आती है
ऐसा लगता है
व्यक्तित्व में आप ही समाएं हैं
यह समाज तो तब भी था
अब भी है
आगे भी रहेंगा
पर आप जैसा बाप हो
वैसा आधार हो
औकात नहीं किसी की
उसके बच्चों पर कोई ऑच हो
कभी रोते नहीं देखा
हमेशा मुस्कराते हुए
पर रोएं तो आप भी होंगे
कब - कब
यह तो हम ही जानते हैं
आप भी जानते होंगे
मुंह लगे थे
बोल देते थे कुछ भी
प्यार भी तो उतना ही करते थे
यह बाप - बेटी का नाता
सबको समझ नहीं आएगा
बस इतना ही काफी है
मैं आपकी बेटी हूँ
आप मेरे बाबूजी ।
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