सब पक्की बन गई है
पहले जिस पर बैलगाड़ी और इक्का चलते थे
साईकिल और पैदल चलते थे
आज उस पर फर्राटेदार गाडिया और बाइक दौड़ रही है
कितना सब कुछ आसान नहीं हो गया है
अब समय नहीं लगता
यही सडक हमें शहर तक पहुंचाती है
गाँव से लेकर शहर की दूरी हमने माप ली
हम वह गाँव ही छोड़ चले
पगडंडियाँ भूल गए
अब मिट्टी नहीं लगती पैर में
अब उबड खाबड़ नहीं सब समतल है
लेकिन इन्हीं पगडंडी और कच्चे रास्ते पर चलकर हम बडे हुए हैं
सडक तो बनी गाँव छूट गया
सबको लेकर जा रही है यह सडक
धीरे-धीरे गाँव खाली हो रहे हैं
घर वीरान हो रहे हैं
कमाने और बडा बनना है सबको
इसमें एक भूमिका इस पक्की सडक की भी है
मन को पक्का बना लिया
सब छोड चले ।
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