सब अमरता चाहते हैं
अमर रहा नहीं कोई
यह बात दिगर है
भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान
उसका अंत तो सबको पता ही
शरशैय्या पर पडे
अपनी मृत्यु का उपाय बताना
अश्वत्थामा अमर हुआ
आज तक भटक रहा है
जीवन जीना आसान है
मृत्यु उससे ज्यादा कठिन
कितना जीएगा
हर चीज का अंत होना ही है
प्रकृति भी परिवर्तन करती है
क्या करेगा जीकर
जन्म समय पर
मृत्यु समय पर
तभी संतुलन बना रहेगा
जीवन उत्सव है
मृत्यु भी उत्सव है
सबसे छुटकारा
ईश्वर में लीन
माया मोह से मुक्ति
यही तो सबका सारांश है
नहीं चाहिए
अमरता का वरदान
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