Monday, 10 July 2023

कण कण में शंकर

शिव बनना आसान नहीं है
अमृत छोड़ विष को गटकना है
विषधर को अपने गले में लटकाना है
भोले तो होना है
शक्तिशाली भी
तीसरा नेत्र भी रहना चाहिए 
निर्माण के साथ संहार की शक्ति भी होना चाहिए 
भभूत और राख से श्रृंगार करना है 
महल छोड कैलाश पर्वत पर निवास करना है
जीवनदायिनी गंगा को अपने सर पर बैठाना है
चंद्रमा को भी धारण करना है
औघड़,  भूत सबसे संबंध रखना है
शिव और शक्ति साथ 
भांग- धतूरा से खुश होने वाले
राक्षजराज रावण के आराध्य 
मर्यादा पुरुषोत्तम राम के भी आराध्य 
बिना भेदभाव के
जिनके गले में नागराज
सवारी नंदी हो
दोनों को साथ-साथ ले चलनेवाले 
भय मुक्त हो विचरण 
बेल पत्र से प्रेम 
हर साधारण व्यक्ति के आराध्य 
सबको वरदान देने वाले 
पूरे परिवार के साथ विराजमान होने वाले
परिवार और समाज के हर वर्ग,  हर जीव पर
कृपा दृष्टि बरसाने वाले शिव शंकर 
हर कण - कण में शंकर
हर मन में शंकर 
भोले बाबा की जय 
गौरी शंकर की जय ।


 

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