इतना आसान नहीं
तुमने मेरी हंसी देखी है
उसके पीछे की उदासी को नहीं देखा
तुमने मेरी ऑखों को देखा है
उसके पीछे छुपे ऑसूओं को नहीं देखा
तुमने मेरे मन को देखा है
उसके पीछे गहरे समुंदर को नहीं देखा
जो मोती मिले हैं
यू ही नहीं हैं
न जाने कितनी बार गोता लगाया है
न जाने कितने बार डूबते-उतराते बचा हूँ
तुमने फूलों को देखा है
उसकी मुस्कान को देखा है
उसकी सुगंध को देखा है
उन फूलों को जो कांटों की सेज पर सोना पडा
वह नहीं देखा है
ऊपर ऊपर सब कुछ अच्छा
अंतर्मन न जाने कितना घायल
जो कुछ मिला
वैसे ही नहीं मिला है
संघर्षों की राह पर चलकर
सोना कुंदन बना है तप कर
हीरा चमकदार बना है घिस कर
मूर्ति बनी है हथौड़ी- छेनी की चोट खाकर
तुमको जिस इंसान का आज दिखाई देता है
कभी उसके कल में भी झांक कर देखा करें
शायद तब महसूस होगा
अरे , हम तो बहुत अच्छे हैं
न जाने कितने ईटों को अंदर समाना पडता है
तब जाकर इमारत खडी होती है
न जाने कितना त्याग किया होगा
अरमानो को कुचला होगा
पाई पाई जोड़कर
यह आज बनाया होगा
अगर समझना है किसी को तो
उसके कल में भी झांक कर देखें।
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