न चिंता न अवसाद
जब मन हो जागो
जब मन हो सो जाओ
दिन हो या रात
कभी भी मुस्कुराओ
कभी भी रोओ
समय की नहीं कोई पाबंदी
दिन के दो बजे या रात के दो बजे
सब होते हैं समान
न खाने की चिंता न पीने की
माँ तो हैं ही
उसकी गोद तो हैं ही
न कोई अपना न कोई पराया
न कोई दोस्त न कोई दुश्मन
हाथ- पैर चलाना है
मस्त होकर रहना है
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