हर किसी की बात में आ जाता है
जवाब देना चाहता है
जवाब दे नहीं पाता
न किसी को कडवा बोलता है
न ताने मारता है
तब भी कुछ लोगों की ऑख की किरकिरी बन जाता है
मसोसकर रह जाता है
जज्बात की कद्र करता है
दिल से बात करता है
कटुता और कपट से नहीं
सबको अपने जैसा समझ लेता है
तभी दुखी हो जाता है
सीधे और सच्चे का जमाना नहीं
किसी पर विश्वास नहीं
छल और कपट का बोलबाला
अंदर कुछ बाहर कुछ
इस रंग बदलती दुनिया का नहीं भरोसा
कहती कुछ करती कुछ
जो दिखता है वह होता नहीं
बडा संभल कर कदम रखना है
पग - पग पर धोखा
चालाकी भी आनी जरूरी है
नहीं तो फिर
कब कौन क्या चाल चल देगा
भनक भी नहीं लगेंगी
हाथ मरते रह जाना पडेगा
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