डूब गया इसमें जमाना
एक बार इन दोनों का हो जाएं नशा
फिर तो छुड़ाए नहीं छूटता
मदिरालय सबको एक करता है
मोबाइल भी सबको एक प्लेटफार्म पर ला खड़ा कर दिया
जब तक चखा नहीं शराब तब तक मन लालायित
मोबाइल जब तक चलाना नहीं जाना तब तक उत्सुक
जब एक बार मुंह को लग जाएं शराब
जब एक बार हाथ में आ जाएं मोबाइल
सारे जहां को भूल जाते सब
न जाने इनके चक्कर में कितने बर्बाद
रमी खेलते - खेलते भारत - पाकिस्तान के मन मिल जाते
सचिन से मिलने सीमा हैदर आ दमकती
सोशल मीडिया की सुर्खियाँ बटोरती
शराब पीकर गिरते पडते
सेल्फी लेते समय गिरते
दोनों ही जानलेवा
न बोतल छूट रही न मोबाईल छूट रहा
न जाने कितनों का सर्वनाश हो रहा
सरकार भी क्या करें
न शराब पर अंकुश न मोबाईल पर
एक रेवन्यु देती है दूसरी तो प्रचार करती है
सोशल मीडिया पर प्रचार और हाथ में दारू की बोतल
बस फिर क्या
सरकार बन गई
मांस, मदिरा और रूपया
तब क्यों न कोई जीते भैया
कनक कनक ते मादकता सौ गुनी अधिकाए
या खाएं बौराए जग वा पाएं बौराए
मदिरा पीकर पागल
मोबाइल पाकर पागल
दोउ मिल दूर करें
अपने और अपनों से
न जाने यह नशा मानव को कहाँ ले जाकर खड़ा कर दैगा
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