Saturday, 8 July 2023

ज्योति मौर्या

एक ज्योति क्या बेवफा निकली
हर ज्योति शक की नजर से देखी जाने लगी
कहीं बेवफा न निकल जाएं 
अब तो ज्यादा स्वतंत्रता देना ठीक नहीं 
पढाई- लिखाई , नौकरी की जरूरत नहीं 
घर - बार और बाल - बच्चे संभाले
यही बहुत है
विकास की बात बकवास है
घर की चहारदीवारी ही ठीक है
जो ज्योत आगे बढने के लिए जलाई गयी थी
उस पर अब अफसोस हो रहा है
बडी मुश्किल से औरत ने अपने को उठाया है
पुरूषों का भी योगदान है
महात्मा फुले से लेकर महर्षि कर्वे तक
वह औरत जो त्याग कर दूसरों के जीवन में ज्योत जलाती रही है
परिवार और समाज उसी से चलता है
उस पर अविश्वास करना
एक लडकी शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है
जो ज्योति मौर्या ने किया है
सदियों से अनेकों पुरूषों ने ऐसा किया है
लेकिन उन पर तो अविश्वास नहीं 
उन्हें पूरा मौका मिलता है
औरत भी स्वतंत्र नागरिक है
उसे अपने बारे में सोचने का पूरा हक है
मर्द कौन होते हैं उसे आगे बढने से रोकने के लिए 
पानी के बहाव को कितना भी बांधो वह रास्ता निकाल ही लेता है
औरत भी निकाल ही लेंगी 
फिर क्यों न
बहन , बेटी , पत्नी को आगे बढने दिया जाएं 
सहयोग किया जाएं 
हर महिला ज्योति मौर्या जैसी होगी ऐसा तो नहीं है
फिर पति- पत्नी की आपसी सच्चाई तो कोई नहीं जानता 
डरने की जरूरत नहीं है
पुरुष को अपने पुरुषत्व का अभिमान है न तो फिर ओछी और छोटी सोच की कहाँ जगह
निश्चिंत होकर विशाल हदय रख योगदान दीजिए 
अपने घर की महिलाओं के पैरों में बेडियाँ मत बांधे। 

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