Sunday, 23 July 2023

मणिपुर के आततायी

द्वापर में  द्रौपदी निर्वस्र नहीं हुई थी
हाॅ युद्ध उसी समय निश्चित हो गया था
नारी का अपमान,  विनाश की शुरुआत 
जब महारानी का यह हाल
तब सामान्य नारियों की क्या बिसात 
द्रौपदी ने केश खुले रखे 
रक्त पान और रक्त से धोने की प्रतिज्ञा 
दुश्शासन की जंघा चीरना 
ताउम्र उस अपमान की आग में जलती रही

वह तो महलों की रानी थी
यहाँ यह औरतें क्या करेंगी
यही समाज होगा 
जो कहेगा 
यही हैं वे जिनके साथ ऐसा हुआ था
उनका जीना दुश्वार हो जाएंगा
 जब सीता पर प्रश्न चिन्ह उठा सकता है यह समाज 
तब यह सामान्य औरतें 

अभी नहीं मरी तो 
बाद में  मर जाएंगी 
जीते जी मरी रह जाएंगी 
परिवार भी तबाह

एक लडकी  पढती है
तो पूरा परिवार शिक्षित होता है
एक महिला का अपमान 
पूरा परिवार अपमानित 
एक - दो पीढियों तक यह बात चलेगी 

वर्तमान तो खराब हुआ है
भविष्य भी खराब 
उनका बदला कौन लेगा
न यह द्रौपदी है
न यह द्वापर युग है

न्याय कानून को करना है
सरकार को करना है
समाज को करना है
दुश्शासन को दंड भीम ने दिया था
इन आततायियों को कौन देगा ।

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