हरियाली तीज लाया है
शिव - पार्वती का पूजन
हर कुंवारी और ब्याहता की इच्छा
मनमांगा वर और सुहाग की मंगल कामना
हर मंदिर के द्वार खडे है याचक
बज रही घंटिया
पुष्प- हार , फल - दूध , जल से
किया जा रहा प्रसन्न आराध्य को
झूले पडे है डालों पर
गीत गाएँ जा रहे हैं
हरी - हरी चूडियां छनकती
हाथों पर मेहंदी सजती
सुहाग की निशानिया
श्रृंगार का सामान
बिक रहे हैं जोर - शोर से
बाजार अटे पडे हैं
नए-नए परिधानों से
पकवानों की तैयारी
उपहारों की आशा
कुछ न कुछ सबके मन में समाया
तभी तो सावन सबको भाता
सब देखते राह सावन की
अपने मनभावन की ।
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