महात्मा से उसने अपनी व्यथा बताई ।
महात्मा ने कहा ऐसा है तो तुम कांटो मत । सांप ने ऐसा ही किया । अब तो लोग उस पर पत्थर फेकते थे घायल कर बच्चे भी मजा लेते थे ।
महात्मा जी एक दिन फिर उसी रास्ते से गुजरे । लहू-लुहान सांप उनके सामने आया तब महात्मा ने पूछा
ऐसी दशा कैसे हुई
सांप ने सारा हाल कह सुनाया
महात्मा जी ने कहा
मैंने तुम्हें डसने - काटने को मना किया था फुफफाकरने को नहीं। निर्बल की कदर कोई नहीं करता ।
सांप को समझ आ गया अब वह फुफकारने लगा जिससे सब उससे दूर रहने लगे और सताना छोड़ दिया
अपनी शक्ति का एहसास कराना जरूरी है नहीं तो यह दुनिया जीने नहीं देगी ।
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