Monday, 21 August 2023

सांप और महात्मा

एक कहानी पढी थी कि एक सांप था वह लोगों को काटता था तथा कितनों की जान चली जाती थी । सांप को दुख होता था । एक दिन एक महात्मा उस राह से गुजर रहे थे सांप उनके सामने आया और फन निकलकर बैठ गया ।
महात्मा से उसने अपनी व्यथा बताई ।
       महात्मा ने कहा ऐसा है तो तुम कांटो मत । सांप ने ऐसा ही किया । अब तो लोग उस पर पत्थर फेकते थे घायल कर बच्चे भी मजा लेते थे ।
महात्मा जी एक दिन फिर उसी रास्ते से गुजरे । लहू-लुहान सांप उनके सामने आया तब महात्मा ने पूछा 
ऐसी दशा कैसे हुई 
सांप ने सारा हाल कह सुनाया 
महात्मा जी ने कहा
मैंने तुम्हें डसने - काटने को मना किया था फुफफाकरने को नहीं। निर्बल की कदर कोई नहीं करता ।
सांप को समझ आ गया अब वह फुफकारने लगा जिससे सब उससे दूर रहने लगे और सताना छोड़ दिया 
   अपनी शक्ति का एहसास कराना जरूरी है नहीं तो यह दुनिया जीने नहीं देगी ।

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