हमेशा कन्फ्यूजन रहता है
दिमाग कभी गलत नहीं कहता
वह हमें सचेत करता है
हम अनसुनी कर जाते हैं उसे
उसका परिणाम भी भुगतना पडता है
दिल के कारण मजबूर हो जाता है इंसान
कुछ मामलों में दिल की सुनना ही पडता है
रिश्तों में , अपनों से दिल की ही
यही हार जाता है
जान बूझ कर हारना
यह हार भी खुशी और संतोष देती है
तभी तो कभी दिल की सुने
कभी दिमाग की
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