Tuesday, 22 August 2023

घर बनाता है आदमी

चहारदीवारी बनाता है आदमी
एक घर बनाता है
उसमें एक खिड़की बनाता है
हवा आ - जा सके
बाहर गार्डन में जाता है
खुली हवा में सांस लेने 
सारा मामला हवा का है
हवा चाहिए पर उसको कैद कर रखा है
स्वयं को ही बंद रखा है
इसी हवा को प्राप्त करने 
समुंदर से पहाड़ों की सैर 
जो फ्री में मिलती है
उसकी इनको कद्र नहीं 
हवा को रोक
जल को रोक 
पेड़ को काट
नदियों को बांध 
समुंदर को पाट
पहाड़ को तोड़ 
वह घर बनाता रहता है
अट्टालिकाएं,  बिल्डिंग्स,  होटल्स 
बनाता रहता है
हवा को अवरुद्ध कर उसी के लिए तरसता है
आदमी,  मकडी समान
चारों तरफ जाला बुन 
उसी में छटपटाता है
मर जाता है
उसी मिट्टी में मिल जाता है ।

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