मृत्यु भोज पर खिलाई गई थी खीर
जन्म से शुरू हुआ रूदन
मृत्यु पर भी रूदन
एक स्वयं रोया
दूसरा लोगों को रूलाया
रूदन और मिठास से शुरू हुआ सफर
इनसे ही खतम
उनके बीच रहती है जिंदगी
सांस लेती जिंदगी
भावनाओं में झूलती जिंदगी
खुशी में झूमती जिंदगी
सफलता की उडान भरती जिंदगी
सुख - दुख के बीच हिचकोले खाती जिंदगी
न जाने कितने पडावो से गुजरती जिंदगी
बचपन , जवानी , बुढापे को
हर मौसम को भोगती जिंदगी
कर्मों का फल झेलती जिंदगी
ऑधी- तूफान का सामना करती जिंदगी
मिठास और रूदन से शुरू हुआ सफर
इनसे ही खतम
इनसे ही उपजा इनमें ही मिला
मिट्टी, मिट्टी में ही समा जाती है ।
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