कभी-कभी सच बोलना भी गुनाह हो जाता है
सच कोई सुनना नहीं चाहता
झूठ बोलना नहीं चाहते
सबको मीठी मीठी बातें
अपनी तारीफ - बखान
यही सुनना है
जो हम सुनाना नहीं चाहते
सच कसमसाता रहता है
मौन रह जाता है
कुछ व्यक्त नहीं कर पाता
झूठ का बोलबाला होता जाता है
सच तमाशा देखता रहता है
कभी-कभी खुद तमाशा बन जाता है
ऐसा लगता है
यह दुनिया झूठों की ही है
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