Wednesday, 23 August 2023

अपनापन

तुम भी चुप
मैं भी चुप
यह चुप्पी अच्छी है
न झगड़ा- झंटा 
न वाद - विवाद
अपने काम से काम
कितनी अच्छी बात लगती है यह 
जहाँ संवाद ही नहीं वहाँ बवाल ही नहीं 
जीवन यंत्र वत चल रहा है
जब आवश्यकता हुई बटन दबाया 
कुछ बोला 
फिर मौन धारण कर लिया 
कितना नीरस जीवन
वह जीवन क्या 
जिसमें नोक - झोंक न हो
एक दूसरे से बात चीत न हो
ऐसी जगह मन से मन नहीं मिलता है
जहाँ बोलने के पहले सोचना पडे
वह तो घर ही जेल घर हो जाता है
द्वार और खिड़की भले हो
कुछ फायदा नहीं 
जब दिल का द्वार बंद
तब घर का द्वार बंद रहें खुला रहें 
अपनापन तो कभी न पनपेगा ।

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