Tuesday, 1 August 2023

गाँव गाँव गाँव

गाँव गाँव गाँव 
सोशल मीडिया पर इनकी भरमार 
कोई चित्र डाल रहा है 
कोई यादें लिख रहा है
चूल्हे का चित्र 
ब्लेक एंड व्हाइट टेलीविजन 
संयुक्त परिवार 
खेत - खलिहान 
कच्चा घर 
सौंधी रोटी
और न जाने क्या क्या 
यह वे ही हैं 
जो गाँव छोड़ शहर को पलायन किए हैं 
बडा घर छोड़ झुग्गी  - झोपड़ी में रह रहे हैं 
कुछ लोग आगे भी बढ गए हैं 
सुख - सुविधा से लैस 
जो एक बार आया वह वापस नहीं गया
यह हकीकत है  कुछ अपवादों को छोड़कर 
यहाँ तक कि गर्व से कहेंगे 
शहर में अपना मकान है
बडे शहर में न सही पास के छोटे कस्बे में जाएंगे 
किराए पर रहेंगे
बच्चों को पढाना है
न जाने और कितने बहाना है
सच को स्वीकार न करना
दूसरों को उपदेश देना
अरे जाओ न भैया 
रहो गाँव में 
किसने मना किया है
हमें तो शहर में ही रहना है
रोजी रोटी यही दे रहा है
रहें शहर में गुणगान करें गाँव की
यह तो हमारी फितरत में नहीं 

जीना यहाँ  , मरना यहाँ 
इसके बिना जाना कहाँ 

आभारी है इस शहर की 
जिसने सब कुछ दिया है
नाम , सम्मान  ,पहचान 
मकान , रोजगार 
यही रहना है 
गाँव जाना है बस पर्यटन के लिए 
हमको खुला आकाश नहीं सर पर छत चाहिए ।

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