सोशल मीडिया पर इनकी भरमार
कोई चित्र डाल रहा है
कोई यादें लिख रहा है
चूल्हे का चित्र
ब्लेक एंड व्हाइट टेलीविजन
संयुक्त परिवार
खेत - खलिहान
कच्चा घर
सौंधी रोटी
और न जाने क्या क्या
यह वे ही हैं
जो गाँव छोड़ शहर को पलायन किए हैं
बडा घर छोड़ झुग्गी - झोपड़ी में रह रहे हैं
कुछ लोग आगे भी बढ गए हैं
सुख - सुविधा से लैस
जो एक बार आया वह वापस नहीं गया
यह हकीकत है कुछ अपवादों को छोड़कर
यहाँ तक कि गर्व से कहेंगे
शहर में अपना मकान है
बडे शहर में न सही पास के छोटे कस्बे में जाएंगे
किराए पर रहेंगे
बच्चों को पढाना है
न जाने और कितने बहाना है
सच को स्वीकार न करना
दूसरों को उपदेश देना
अरे जाओ न भैया
रहो गाँव में
किसने मना किया है
हमें तो शहर में ही रहना है
रोजी रोटी यही दे रहा है
रहें शहर में गुणगान करें गाँव की
यह तो हमारी फितरत में नहीं
जीना यहाँ , मरना यहाँ
इसके बिना जाना कहाँ
आभारी है इस शहर की
जिसने सब कुछ दिया है
नाम , सम्मान ,पहचान
मकान , रोजगार
यही रहना है
गाँव जाना है बस पर्यटन के लिए
हमको खुला आकाश नहीं सर पर छत चाहिए ।
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