Monday, 14 August 2023

सास - बहू

जितनी उत्साह से बेटे की शादी करती है एक माँ 
बहू के लिए सपने संजोती है
वही रिश्ता सबसे बदनाम क्यों 
अगर चार महिलाएं बैठे
सास - बहु की चर्चा न हो
यह हो नहीं सकता
एक व्यक्ति के जीवन के दो अमूल्य रिश्ते 
माँ  और पत्नी 
अगर ठीक-ठाक है तब कोई बात नहीं 
अगर नहीं तो इसका खामियाजा सबको भुगतना पडता है
बेटे को , पत्नी को और माॅ को 
वह इन दोनों के चक्र में उलझा रहता है
दोनों दिल के करीब 
तब समझदारी बहुत जरूरी है
एक - दूसरे को समझना है 
कोई किसी को छिन नहीं रहा है
अपना एकाधिकार स्थापित करने से कुछ हासिल नहीं 
माँ को समझना होगा
जिसे ब्याह कर लाई है वह उसकी जीवनसंगिनी है
मुझसे ज्यादा उसका हक है
पत्नी को भी समझना होगा
उसके आने से पहले माँ उसके जीवन में हैं 
आज तो सोच ऐसी हो गई है
ब्याह उसी से करना है जिसका परिवार हो
माँ भी हो
हाँ साथ नहीं रहना है
अगर माँ न होती तो पति कहाँ से आता
यह समझना होगा
दोनों का अपनी-अपनी जगह
पति से प्यार और माॅ से दुर्व्यवहार 
दोनों तरफ से हारा तो पुरुष है
उसको खुश देखना है तो
सास और बहू को सामंजस्य से रहना होगा ।

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