महसूस कराती है
मैं हूँ यही
तुम्हारे आसपास
तुम्हारी हर साँस में समाई
मुझे देखने की कोशिश मत करना
मैं कभी नहीं दिखुगी
हाॅ तुम्हारा ख्याल जरूर रखूगी
तुम्हारे आसपास ही मंडराती रहूंगी
यही हाल भावनाओं का है
भावना दिखती नहीं
महसूस होती है
अपनेपन और प्यार में
बिना कहे बिना सुने
मन को मन से जोड़ती है
माँ की छडी भी फूल समान
पिता की डांट में भी दुलार
बहन से झगड़े में भी प्यार
कुछ न समझाना है
न कहना है
प्यार की भाषा को शब्दों की जरूरत नहीं
प्रकटीकरण की आवश्यकता नहीं
ऐसा ही होता है
हवा और भावना का मिजाज
No comments:
Post a Comment