बहाने नहीं
रूठी हुई खामोशी से
बोलती हुई शिकायतें ज्यादा बेहतर होती है
मिल - बैठकर बतियां ले
मन का गुबार निकाल ले
कुछ तेरा कुछ मेरा
शिकवा - शिकायतों का दौर चला ले
कहीं तुम सही कहीं मैं गलत
यह भी तो मान ले
एक न एक दिन खामोश हो जाना है
उसके पहले बातों का दौर चला ले
अपनी व्यस्तता में से भी कुछ पल चुरा ले
पता नहीं फिर बात हो न हो
हम हो न हो
यह पल तब ढूंढते फिरो
जब बात करने वाला ही न हो
प्यार- अपनेपन का खाद - पानी देते रहें
रिश्ते पुष्पित- पल्लवित होते रहे
चुप्पी का जंग उनमें न लगे
कुछ पल तो गुजार लो
अपनों के शुक्रगुजार में।
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