जरूरी नहीं सजा वही भुगते
उससे जुड़े लोगों को भी भुगतनी पडती है
गलती कुंती ने किया था
सजा कर्ण को भुगतना पडा
पट्टी गांधारी ने बांधी थी
परिणाम कौरव थे
गलती राजा शांतनु ने की थी
सजा भीष्म को भुगतना पडा
गलती राजा दशरथ ने की थी
सजा राम को भुगतना पडा
पूरी अयोध्या को भुगतना पडा
कैकयी और मंथरा तो थी ही
यह याद रहें कि
श्राप श्रवण कुमार के माँ - बाप का था
आज भी यही होता है
माता-पिता की गलतियों की सजा संतान भुगतती है
एक व्यक्ति की गलती
पूरा परिवार भुगतता है
व्यक्ति अकेला नहीं होता है
वह समाज और परिवार में रहता है
एक गलत कदम न जाने कितनों की जिन्दगी बदल देते हैं
जिंदगी के मायने बदल जाते हैं
अकेला तो आता है
अकेला कोई जाता नहीं है
अपने कर्मों के साथ जाता है
जब कोई कहता है
मेरी जिंदगी
मैं जो चाहे सो करूँ
अधिकार है अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने का
अपनी शर्तों पर जीना
हमारे कारण किसी और की जिन्दगी प्रभावित न हो
माता-पिता बने हो तब जिम्मेदारी का एहसास भी हो ।
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