Tuesday, 22 August 2023

माँ का गार्डन

मेरी माँ ने एक गार्डन लगाया था
उसको अपने दिल में बसाया था
उसे हर रोज वह सींचती 
अपने प्यार से अपने दुलार से
हर वक्त उनके साथ रहती
कभी मुर्झा न जाएं 
इसलिए खाद - पानी देती
उत्साह का सांत्वना का
कभी हार न मानने का
हर मुश्किल घडी में डट कर खडी रहती
सूर्य जैसा प्रकाश देती
हर पौधा उसके दिल के करीब 
उन्हें पल्लवित- पुष्पित किया
हर आंधी - तूफान का सामना करना सिखाया
उन्हें पौधों से पेड बनाया
इस प्रक्रिया में न जाने किन - किन बाधाओं से गुजरी
पर उन पर ऑच न आने दी
ढाल बनकर खडी रही
हर किसी से भिड पडी
आज वह पेड़ जो पौधे थे
लहलहा रहे हैं 
अपना परचम फहरा रहे हैं 
सच्चाई,  ईमानदारी  , कर्मठता का जो पाठ पढाया 
उसी के साथ आगे बढ रहें 
माँ मंत्रमुग्ध हो देख रही
बखान करते न थक रही
वे पेड़ कौन हैं 
हम उसकी संतान 
उसके दिल अजीज 
उसके दिल के टुकड़े 
जिनमें उसका दिल धडकता है 
उनकी हर धडकन में भी एक शब्द है कॉमन 
   माँ    माँ   माँ  

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